The Fact About bhoot ki kahaniyan That No One Is Suggesting

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यह हर रात होती थी।कभी कभी एक दो दिन नहीं होती थी। फिर कभी कभी एक हफ्ते भी नहीं रहती थी लेकिन किसीना किसी दिन फिरसे घटती थी। लेकिन उस आत्मा ने मुझे कोई परेशानी नही दी। बस अपने आप रसोई में आती जाती रहती थी।

तुम रात को बरगद के पेड़ से लिपटे हुए बेहोश पड़े थे। तुम्हारे साथ क्या हुआ था? मैंने उन्हें अपने साथ जो हुआ वो सब बताया। उस समय मेरा दोस्त सोमधर भी वहाँ ही था। वो बोला कि मैं तो रात को अपने घर पर सो रहा था।

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रात बीतती जा रही थी, और युवक ने एक नए दृष्टिकोण से जीवन को देखना सीख लिया था। राजा की आत्मा ने कहा, “यह जगह सिर्फ भूत-प्रेतों की नहीं, बल्कि जीवित लोगों के लिए भी है। यहां आकर लोग अपने आत्मा के साथ मिलकर जीवन की सच्चाई को समझ सकते हैं।”

उसके बाद उन्होंने विरार में ही दूसरा मकान ले ली और अब वे वहाँ रहते हैं। इसलिए तुम्हारे मासाजी और मासी यहाँ आये तो बाहर की लाइट आन करके सोते हैं। उन्हें अंधेरे से इतना डर लगता है। मेरी ज़िंदगी में बस इतने ही भूतों के विषय मे सुना है और अनुभव किया है चिन्नू " कहते ही वे तब ही आये भैया के साथ बाहर चले गए और मैं चिंता में पड़ गयी थी कि रात कोे नीन्द आयेगी या नहीं !

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यह कहानी एक छोटे से गाँव के एक युवक, राज, के बारे में है जो अपने दादा-दादी के साथ रहता था। गाँव में हमेशा कुछ अजीब सी बातें होती रहती थीं और लोग कहते थे कि गाँव के पास एक भूतों का शहर है। राज, भले ही बहुत ही नौसिखिया और बहादुर था, लेकिन भूतों की कहानियों से डरता था।

धनिया : मालिक हमने कुए के अंदर एक कांच का मकान बनाया हुआ है.. कुए के अंदर मैं और राजू रहता था.

वह एक कुत्ता था, लेकिन कोई साधारण कुत्ता नहीं था। इसकी आँखें अलौकिक तीव्रता से चमक रही थीं। कुत्ता घायल और खोया हुआ लग रहा था, इसलिए राम और सोनू दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए सावधानी से उसके पास पहुंचे। आश्चर्यजनक रूप से, कुत्ते ने अपनी पूंछ हिलाई और उनका पीछा करने लगा।

उन्होंने कहा था " चिन्नू वह एक अलग प्रकार का पिशाच है जो मल खाता है। वह रात को ऐसे शौचालय में आकर मल खाकर फिर उस शौचालय के दीवार पे अपना हात साफ करके जाता है।"

वो जो भी था मुझसे कह रहा था कि मैं तुम्हारा कब से इंतज़ार कर रहा हूँ, तुम तो आये ही नहीं। देखो जल्दी आ जाओ। फिर हम दोनों साथ में इस जंगल के अंदर घूमेंगे।

उस ताड़ के पेड़ के पास एक महिला अपने पति व एक बच्चे के साथ रहती थी। उसका पति बड़ा ही धूर्त व आलसी किस्म का शख्स था और उसे बात-बात पर झूठ बोलने की आदत थी। इस वजह से वह महिला अपने पति से बेहद परेशान रहती थी। काफी दूर तक पैदल चलने के बाद जब मोहन ताड़ के पेड़ के पास पहुंचा तो वह औरत घर के बाहर निकली। घर के आंगन में प्रवेश करते हुए मोहन लड़खड़ा कर गिर पड़ा और उसका एक हाथ औरत के गाल पर तमाचे की तरह read more लग गया।

बच्ची जब से मौत से लौटकर आई थी, तब से ही उदास और चुपचाप एक कोने में बैठी रहती थी। एक दिन उसकी मां ने उसे खुद अपने हाथों से खाना खिलाया और मामा के घर लेकर जाने की बात कही। खाना खिलाकर उसे अच्छे से तैयार करके वो उसे अपने मायके ले गई। रास्ते में वो बच्ची जैसे ही उस ट्रक के हादसे वाली जगह पहुंची, तो उसने अपनी मां को कहा कि मेरा गांव इधर है।

गौरब एक पंडित को लेकर उस घर में जाता है और पूजा पाठ करवाता है। इससे उस आत्मा को उस घर से मुक्ति मिल जाती है और वह गौरब का धन्यवाद करती है। गांब वाले सभी गौरब के इस कारनामे से प्रसन्न होते है और उसे इनाम देते है।

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